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फिर भी सोचा की वेब ऐसी कोई है और एक बुनकर कृतियों की तरह है, एक कदम, एक हजार धागे उठता जहां तहां हर शटल मार, पर धागे प्रवाह, अनदेखी और सूक्ष्म, एक झटका प्रभाव एक हजार संबंधों.
— (poem)
by Johann Wolfgang von Goethe
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Language: | Hindi |
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